शाम के लगभग, 7 बज रहे थे। दिन की तेज धूप के बाद, अब कहीं जा कर, सब बच्चे, घर से बाहर निकले और पास के मैदान में खेलने लगे! तभी अचानक वहां, कुछ बंदर आ जाते हैं। उनसे बचने के लिए, सब बच्चे इधर-उधर भागने लगते हैं। जैसे ही, आनंद उसके दोस्त, घर की ओर भाग रहे थे, तभी बंदर भी उनके पीछे, तेजी से भागना शुरू कर देते हैं। कोई उन पर लपक रहा है, कोई उनकी चीजें छीनने की कोशिश कर रहा है। रास्ते में, उन्हें एक बुजुर्ग दिखे, उन्होंने बच्चों को बोला- तुम डरो मत, इनका सामना करो, तुम जितना ज्यादा इनसे डरोगे, ये तुम्हें उतना ही डराएंगे।
ये सुनकर, भी, सब बच्चे घर की ओर भागते रहे, लेकिन आनंद वहीं रुक गया। पीछे मुड़ा और उनकी आंखों में आंखें डाल कर जोर से चिल्लाया। वो बंदर वहीं रुक गए। आनंद फिर से, उन्हें आंखे दिखाते हुए डराने लगा, देखते ही देखते, वो बंदर वहां से चले गए। असल में, हमारे जो नकारत्मक विचार हैं, वो भी इन्ही बंदरों की तरह हैं। हम जितना उनसे भागते हैं, वो उतना ही हमें, डराते हैं। अपने नेगेटिव विचारों का डटकर सामना करें, एक दिन आपका ये डर भी, आपसे डर जाएगा।